Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 94( New War-4)

"दिव्या श्रीवास्तव ....इसका सरनेम तो श्रीवास्तव है...ये तो फिर भी ठीक है...लेकिन जो मैं सोच रहा हूँ, वो ना हो " लेकिन मेरी सोच तब सच हो गयी जब दिव्या की आइडी मे मैने फॅमिली ऑप्षन मे गौतम(ब्रदर) की आइडी देखी....

"गये बेटा काम से...दिव्या तो गौतम की बहन है ,ये अरुण भी एक नंबर का लंठ है,जो गौतम की बहन को सेट कर रहा है....पिटेगा साला..."

उसके बाद मैने दिव्या की सारी फोटोस देख मारी, कई  फोटो मे वो गौतम के साथ थी... तो कईयों मे ईशा के साथ... ईशा के साथ वाली दिव्या कि सारी फोटोज मैने डाउनलोड की और क्रॉप करके दिव्या को अन फोटोज से ऐसे उड़ाया जैसे.. लोग, गुड़ मे से मक्खी को अलग करके फेक देते है.. सेम मैने भी ऐसा ही किया और ईशा कि सारी फोटोज को सेव कर लिया... कितनी सुन्दर है यार ईशा...एकदम परी लगती है...
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"अबे पांडू , जानता है दिव्या कौन है..."अरुण और सौरभ के आते ही मैं अरुण पर चिल्लाया...

"दिव्या..एक लड़की है "

"गौतम की बहन है दिव्या..."

"तो क्या हुआ..."

"जब उसका बाप तेरे पिछवाड़े मे डंडा डालेगा ,तब बोलना क्या हुआ..मैं बोलता हूँ अभी साली को अनफ्रेंड कर दे..."

"शेर लोग कभी नही डरते और वैसे भी जब तू गौतम की माल पर नज़र डाल सकता है तो मैं दिव्या को लाइन क्यूँ ना मारू...."

"तो अब तुम खुद को श्री अरमान से compare करोगे... मेरी बात मान...मत बर्बाद हो भाई...  गौतम का बाप बहुत बड़ा गुंडा है... "

"एक काम करते है..तू ईशा का पीछा छोड़ दे.. मैं दिव्या का पीछा छोड़ दूंगा... है मंजूर...???"

अरुण की इस बात का मेरे पास कोई जवाब नही था, इसलिए मैने सौरभ की तरफ देखकर अरुण को समझाने के लिए कहा....

"अभी अपुन बहुत मेहनत करके आ रेला है...अपुन को सोने का है...भाड़ मे जाओ तुम दोनो और तुम दोनो की आइटम और गौतम...."बोलकर यादव अपने बिस्तर पर धड़ाम से कूदा
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"सही है..."

"क्या सही है बे...जब लात खाएगा तब मत बोलना कि मैने तुझे नही समझाया था..."अरुण को समझाने की मैने आख़िरी कोशिश की...

"देख बे अरमान, मैने भी कोई कच्ची गोलियाँ नही खेली है...जब तू ऐश  के पीछे पागल हो सकता है तो मैं दिव्या के पीछे क्यूँ नही... बाकी डरपोक तो मै कभी था ही नहीं..जिसका ट्रेलर मै कैंटीन मे तुझे दिखा चुका हूँ.. जब 15-20 लड़को से मै अकेले लड़ने के लिए तैयार हो गया था..."

"पहली बात ये कि ऐश  मेरे लेफ्ट साइड मे है और दूसरी बात ये कि मैं...मैं हूँ....मतलब की मैं सिचुयेशन्स को संभालना जानता हूँ.. और तू... तू..सिचुएशन को संभालना नहीं..बिगड़ना जानता है... यदि मैने दांगी का नाम नहीं लिया होता, ऐन मौके पर तो अभी किसी हॉस्पिटल मे लहू -लुहान पड़ा होता..समझा...."

"तो तेरे कहने का मतलब ये है कि तू मुझसे ज़्यादा होशियार है..."

"Officially ..."

"तो तेरे कहने का मतलब ये है कि मैं सिचुयेशन नही संभाल सकता..."

"बिल्कुल..."

"तो तेरे कहने का मतलब ये है कि तू मुझसे ज़्यादा स्मार्ट है..."

"हां "

"तो तू ये कहना चाहता है की तू मुझसे ज़्यादा handsome है..."

"तेरी तो..चुप कर साले..जैसे तेरी वो माल दिव्या बोर करती है वैसे ही तू भी भेजा ख़ाता है....अब मरा तू..., मुझे कोई मतलब नही तुझसे और तेरी उस महा पकाऊ, बेवकूफ़ दिव्या से.... और उसको बोल देना की.. उसको इस जन्म मे तो क्या... पुरे सात जन्मो तक ट्विटर पर फॉलो नहीं करने वाला... भले ही वो नंगी ही क्यों ना खड़ी हो जाए मेरे सामने "

"चुप बे...ऐश  से तो होशियार ही है..."

"अग्री अंकल, अब चुप हो जाओ..."

मुझे अंदाजा लग गया था की मेरे और गौतम या फिर कहे की मेरे और वरुण के बीच सिचुयेशन आने वाले दिनों मे और भी ज़्यादा हाइपर होने वाली थी... क्यूंकी एक तरफ जहाँ अरुण,गौतम की बहन को पटाने मे तुला हुआ था ,वही मैं गौतम से उसकी माल छीन रहा था... बोले तो डबल अटैक ....इसका नतीज़ा काफ़ी भयानक होने वाला था ,जिसकी खबर मेरे sixth sense ने मुझे उसी दिन दे दिया था,जब मुझे मालूम चला था कि दिव्या, गौतम की बहन है.... लेकिन मज़े की बात ये थी कि मुझे एक साल बाद मालूम चला कि गौतम की बहन भी इस कॉलेज मे पढ़ती है और वो ऐश  की खास दोस्तो मे से है...यूँ तो ऐश  को घूरते वक़्त,कॉलेज मे उसका पीछा करते वक़्त दिव्या को मैने कई  बार देखा था लेकिन कभी उसपर ध्यान नही दिया और ना ही क्लास के लौन्डो ने मुझे कभी बताया,जबकि क्लास के हर लड़के को पता था, अब मुझे फर्स्ट एअर के कुछ  फ़्लैश बैक  भी याद आने लगे ,जब रिसेस के वक़्त गौतम ,जहाँ फर्स्ट ईयर की क्लास लगती है, वहाँ आया करता था....

अब मुझे रिसेस मे गौतम के आने का कारण समझ मे आ रहा था...एक तो वो ऐश  से मिलने आता था पर मुख्य कारण ऐश से मिलना नहीं बल्कि ये देखना की कही कोई उसकी बहन दिव्या को परेशान तो नहीं कर रहा है और कही दिव्या के पीछे कोई लड़का तो नही पड़ा है...मैं ये सच्चाई जानकार बेहद ही शॉक्ड हुआ था, क्यूंकी bhu ने भी मेरे सामने कभी दिव्या के बारे मे जिक्र नही किया....
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"May i come in,mam..."मैने क्लास मे एंटर होने के लिए विभा से पर्मिशन माँगी....

"क्लास स्टार्ट हुए ऑलरेडी ट्वेंटी मिनिट्स हो चुके है...कहाँ थे तुम तीनो..."

"वो मैम  हॉस्टल  का पानी ख़त्म हो गया था..."मैं कुछ  बोलता उसके पहले ही सौरभ बोल पड़ा"तो पानी ख़त्म होने के कारण लेट हो गये..."

"यहाँ हॉस्टल  का और कौन-कौन है..."विभा ने क्लास मे बैठे स्टूडेंट्स से पुछा तो आधा दर्जन लड़को और लड़कियो ने अपने हाथ गर्व से खड़े कर दिए....

"यदि पानी खत्म हो गया था तो फिर ये लोग लेट क्यों नहीं हुए...?? "विभा ने घूरते हुए हम तीनो से प्रश्न किया

"मैम  ,ये लोग नहा कर नही आए होंगे , "और फिर सौरभ ने एक लड़के को जिसने अभी तक हाथ खड़ा किया हुआ था उसकी तरफ उंगली दिखाकर बोला"मैम ,ये तो कभी नहाता ही नही और ना ही कभी कपड़े सॉफ करता है..."

जिसपर सारी क्लास हँस पड़ी... विभा मैम कुछ देर तक तो हमें घूरती पर पर फिर वो भी मंद -मंद मुस्कुराने लगी...

"ओके...ओके, अंदर आ जाओ...सबकी पोल खोलने की कोई ज़रूरत नही है..."

"थैंक  यू मैम ..."हम तीनो ने एक साथ कहा और अंदर आकर सबसे पीछे वाली बेंच मे लड़कियो के पीछे जाकर बैठ गये....
लड़कियों के पीछे क्यों...??? क्यूंकि मजा आता है, लड़कियों के पीछे बैठकर सेक्सी -सेक्सी बाते करने मे...😁😜 एकदम जोशिया जाती है लड़किया... और रुतबे के कारण कुछ कह भी नहीं पाती हमें...

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अरुण ने जिस लड़के  का अड्रेस fb से निकालकर मेरे मोबाइल पर मेसेज किया था ,वहाँ पहूचकर मैने एक रूम का दरवाज़ा खटखटाया और जब एक लड़का बाहर निकला तो मैने उससे विश्वकर्मा के बारे मे पुछा....

"आप कौन हो..."

"मैं विश्वकर्मा का दोस्त हूँ...विश्वकर्मा कहाँ है..."

"मालूम नही है क्या, विश्वकर्मा सर यहाँ दो महीने पहले रहते थे...अब उनकी पढ़ाई कंप्लीट हो गयी है तो ये रूम छोड़ कर जा चुके है..."

"उसका कोई नंबर वगैरह है क्या.. उससे 10,000 रुपये उधारी लिया था मै.. पर मोबाइल मेरा चोरी हो गया और उसी के साथ उसका नंबर भी...."उसके रूम के अंदर नज़र डालते हुए मैने कहा....

जिस रूम मे विश्वकर्मा रहता था ,वो एक छोटा सा रूम था,जैसा कि अक्सर बाहर पढ़ने वाले लड़के को होता है...दीवारो पर एक तरफ कई  बिकनी पहने हुए लड़कियो की फोटोस लगी हुई थी तो दूसरी तरफ एक बड़े से दिल मे विश्वकर्मा और निशा का नाम लिखा हुआ था.... जिसके बीचो -बीच एक तीर घुसा हुआ था...

"एक नंबर है...दूं क्या"

मैने हां मे सर हिलाया तो उसने विश्वकर्मा का नंबर मुझे दे दिया और जब मैं वहाँ से वापस जाने लगा तो वो लड़का बोला...

"लेकिन ये नंबर तो एक साल से बंद है..."

"फिर मैं इस नंबर का क्या आचार डालूँगा...कोई दूसरा नंबर दे ,जो चालू हो..."

"वो मेरे रूम पार्ट्नर के पास होगा,लेकिन वो अभी है नही....एक काम करो आप कल आकर मिलो..."

"ये सही रहेगा..."मैने कुछ  सोचा और फिर अपना नंबर उस लड़के को देकर कहा "सुन ना यार,ये मेरा नंबर है...यदि तेरा वो दोस्त आ जाए ,जिसके पास विश्वकर्मा का नंबर है तो...प्लीज़ उसे बोल देना कि वो विश्वकर्मा का नंबर मुझे सेंड कर दे..."

"ठीक है बोल दूँगा...और कुछ ..."

मेरी नज़र एक बार फिर दीवार पर ठीक उसी जगह पड़ी,जहाँ पर बड़े से दिल के अंदर विश्वकर्मा और निशा का नाम लिखा हुआ था....

"ये विश्वकर्मा के साथ किस लड़की का नाम लिखा हुआ है..."

"इसको बारे मे मत पुछो भाया...जोश आ जाता है... एकदम गच्च माल है... फोटो देखा था इसका मै, विश्वकर्मा सर के मोबाइल मे "

"ठीक है,मैं चलता हूँ...और ध्यान से अपने दोस्त को बोल देना..."
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उस लड़के से मिलने के बाद मैं पूरे दिन बीच-बीच मे अपना मोबाइल चेक करता रहा कि कही कोई मेस्सेज तो नही आया है...लेकिन मेरी इस मेहनत का रिज़ल्ट ज़ीरो निकला...ना ही किसी का कॉल आया और ना ही कोई मेस्सेज....

"पक्का भूल गया होगा उल्लू..."फ्रस्टेशन मे मैने कहा और बाल्कनी के पास आकर एक सिगरेट सुलगाई ..

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